यह ज़िन्दगी यह ज़िन्दगी
तुम्हारे लिए क्या कहे शब्द कम पड़ जाते हैं। तुम्हारे लिए क्या कहे शब्द कम पड़ जाते हैं।
कोई भूलता ही नहीं और किसी को याद ही नहीं आती ! कोई भूलता ही नहीं और किसी को याद ही नहीं आती !
आज बाबू जी को खीर खाने का मन था, लेकिन दूध का इंतजाम हो न पाया। माँ की भी साड़ी थी, आज बाबू जी को खीर खाने का मन था, लेकिन दूध का इंतजाम हो न पाया। माँ ...
यह जो समय यह जो समय
कैसा यह बचपन और कैसा बच्चों का त्योहार ? जब बालश्रम का नहीं बहिष्कार ! ! कैसा यह बचपन और कैसा बच्चों का त्योहार ? जब बालश्रम का नहीं बहिष्कार ! !